मंडी जिला के उपमंडल गोहर में जमीन पर पटकने और पत्थर से वार कर भी न टूटने वाले जिस अंडे के रहस्य को लेकर उलझन में पड़े हुए लोगों के कयासों पर रविवार को विराम लग गया। ग्राम पंचायत चैलचौक में मिला अंडा नहीं पूजा में प्रयोग होने वाला शालीग्राम निकला। यह अंडा पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। सच्चाई सामने आई तो सब दंग रह गए। सलोई निवासी महेंद्र कुमार को पेड़ पर कुछ दिन पहले अंडे जैसी चीज मिली। इस खास पत्थर को अंडा समझकर तोड़ना चाहा, लेकिन टूटा नहीं। वह अंडे को खेत से घर ले गए। मिट्टी से खराब अंडे को पानी से साफ किया तो उसका पूरा आकार मुर्गी के अंडे जैसा था। वह आम अंडे से थोड़ा छोटा और वजन में 86 ग्राम निकला। इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग गोहर को दी गई। अंडे को लेकर स्वयं वरिष्ठ उपमंडलीय पशु चिकित्सक गोहर के पास लेकर गए। डॉ. किशोर ने जांच कर बताया कि यह अंडा किसी बड़े पक्षी का हो सकता है। अंडे को तेज रोशनी में जब जांचा गया तो उसमें से रोशनी क्रॉस होने से इसे जांच के लिए वाइल्ड लाइफ विभाग के पास भेजा गया। जब बात चैलचौक के भद्रोंन निवासी प्रीतम तक पहुंची तो उन्होंने बताया कि यह अंडा नहीं बल्कि उन्होंने शालिग्राम बनाया है। उन्होंने बताया कि उनके घर की तुलसी के पास से कोई पक्षी इसे उठाकर ले गया और पेड़ पर छोड़ दिया। इस तरह अंडे के रहस्य से पर्दा उठ गया।
आखिरकार क्या है शालिग्राम
शालिग्राम नदी से निकलने वाला एक पत्थर है। इसे हिंदू धर्म में विष्णु का स्वरूप माना जाता है। लोग इसे घर में रखते हैं। शुभ कार्यों में इसकी पूजा की जाती है।
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